Sunday, January 19, 2025

दीपावली की बचपन की यादें | 90s Ki Diwali Ki Bachpan Ki Yaadein

दीपावली की बचपन की यादें | Diwali Ki Bachpan Ki Yaadein


बचपन में जब दशहरा की छुट्टियां पड़ने ही वाली होती थी उसके पहले ही हमारा मन प्रफुल्लित हो जाता था। हम मन ही मन पटाखों में नए कपड़े और मिठाइयों के बारे में सोच सोच कर बहुत खुश होने लगते थे।

आईये आज हम दीपावली से जुड़ी अपनी कुछ बचपन की यादों को ताजा करें :

जबरदस्ती घर की सफाई में हाथ बटाना
दीपावली की बचपन की यादें | Diwali Ki Bachpan Ki Yaadein

दिवाली ही एक ऐसा त्यौहार हैं जिसमें घर के एक एक कोने की जम कर सफाई होती है और न चाहते हुए भी बचपन में ज़बरदस्ती हमको इस मेहनत के काम में हाथ बटाना पड़ता था.


मिठाई बनवाने में माँ का हाथ बटाना
दीपावली की बचपन की यादें | Diwali Ki Bachpan Ki Yaadein

चाहे दिवाली में घर की कितनी भी सफाई करनी पड़े लेकिन उसके बाद घर में गुजिया बनते हुए देख कर दिल एकदम खुश हो जाता था.

घर को सजाना
दीपावली की बचपन की यादें | Diwali Ki Bachpan Ki Yaadein

दिवाली आने से पहले ही घर को सजाने के लिए लाइट खरीदना हो, दीपक, मोमबत्ती या फिर झालर, बस मज़ा ही आ जाता था बाजार में

अलग अलग तरीके से पटाखे जलाना
दीपावली की बचपन की यादें | Diwali Ki Bachpan Ki Yaadein
अनार, फुलझड़ी और चकरी जलाने के अलावा हम बचपन में बम को भी अलग -अलग तरीके से फोड़ते थे। कभी जमीन में गाड़ कर फोड़ते तो कभी प्लास्टिक की बोतल में डाल कर। रात होते-होते जब पटाखे खत्म हो जाते थे तो दूसरों के घर जाकर उनके साथ उनके बचे हुए पटाखे उड़ा करते थे।


रिश्तेदारों के घर मिठाई बांटना
दीपावली की बचपन की यादें | Diwali Ki Bachpan Ki Yaadein
अपने घर की मिठाईयां दूसरों के घर ले जाकर हैप्पी दीपावली कहना तो था दूसरों के घर से आई हुई मिठाइयों को भी बहुत खुशी से खाना सचमुच बहुत अच्छा लगता था।

दीपक में मोम इकठ्ठा करना
सभी ने जले हुए दीपक इकट्ठा किए होंगे। और मैं तो जली हुई मोमबत्तियों के बचे हुए मोम को भी एक बड़े दीपक में इकट्ठा कर लिया करता था, और बाद में उसमें बत्ती लगाकर एक बड़ी मोमबत्ती बनाया करता था।


हम चाहे कितने भी बड़े हो जाएं लेकिन हमारा बचपन हर साल त्योहारों के रूप में यादों में लौट कर आता रहेगा.

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